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पितृ नमः

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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श्राद्ध, श्रद्धा और प्रेम (पितृ पक्ष विशेष)…

आशीषें देने धरती पर, पितर पहुँच ही जाते।
श्राद्ध पक्ष में पिंडदान से, पितर तृप्त हो जाते॥

पितर देव रूपों में होते, सदा भला ही करते,
आशीषों से सदा हमारा, पल में घर वो भरते।
साथ सदा ही देखो अपने, शुभ-मंगल ले आते,
श्राद्ध पक्ष में पिंडदान से, पितर तृप्त हो जाते…॥

क्वार मास का पखवाड़ा तो, पितरों को है लाता,
श्रद्धा और नेह के सँग में, पितरों से मिलवाता।
पितर हमारे कोमल दिल के, बस मंगल बरसाते,
श्राद्ध पक्ष में पिंडदान से, पितर तृप्त हो जाते…॥

रीति-नीति कहती है हमसे, हम चोखे हो जाएँ,
भाव सँजो लें उर में अपने, श्रद्धा के गुण गाएँ।
जीवन का हर क्षण महकेगा, शुभ के पल हैं आते,
श्राद्ध पक्ष में पिंडदान से, पितर तृप्त हो जाते…॥

तर्पण-अर्पण, पूजा-वंदन, अभिनंदन की बेला,
देवलोक के पितर धरा पर, आकर भरते मेला।
ख़ानदान को सद्गति देते, संकट दूर भगाते,
श्राद्ध पक्ष में पिंडदान से, पितर तृप्त हो जाते…॥

द्विज को भोजन करवाकर के, पितरों तक पहुँचाना,
गउ, श्वान और कौआ तक भी, भोजन है ले जाना।
आशीषें दे, हर्ष मनाते, वापस तब हैं जाते।
श्राद्ध पक्ष में पिंडदान से, पितर तृप्त हो जाते…॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।