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प्रभु रहते हमारे हृदय में

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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प्रभु रहते हमारे हृदय में,
वे खुद को छिपाये हैं।
जो बुद्धि गुरु-कृपा विवेकी,
प्रभु जी दिख पाये हैं॥

भोगों में डूबा है तनिक जाग जा तू,
इंद्रियों पे कस लगाम नाम जप सदा तू।
नाम जपना है जिनकी आसक्ति,
प्रभु जी चल के आयें हैं॥
प्रभु रहते हमारे हृदय में,…

रूप, रस,गन्ध ना अब इनकी तरफ जा तू,
दिशा बदल जीवन की प्रभु की ओर जा तू।
मोह निद्रा से जाग जा मुसाफिर,
क्यों सो-सो बिताये है॥
प्रभु रहते हमारे हृदय में,…

रात-दिन इन्द्रियों के घोड़े हैं भागे,
इनपे ना संयम के कोड़े जो लागे।
बहुत दुष्ट हैं ये भोग, विषय, माया,
जो तुझको फंसाये हैं॥
प्रभु रहते हमारे हृदय में,…॥

प्रभु किरपा जो सच्चा सन्त मिल जाये,
संग उसी का कर जो प्रभु की रट लगाये।
जिस मन प्रभु मिलन की लगन है,
वो तुझे मिलवाये है॥
प्रभु रहते हमारे हृदय में,…

प्रभु महाराज कण-कण में हैं विराजित,
दुष्टों में वही ज्ञानियों में वही वासित।
प्रभु प्राण आत्मा बन सभी में,
नित रहते समाये हैं॥
प्रभु रहते हमारे हृदय में,…

भक्त संत को दिखाता सबमें परमात्मा,
ताकत प्रभु की चलता शरीर आत्मा।
प्रभु प्रेम भक्ति मारग चल दृढ़ हो,
तो मुक्ति को पाए हैं॥
प्रभु रहते हमारे हृदय में,…

किसी की निंदा करके प्रभु रिझा ना पायेगा,
खुद के दोष दूर करके मौन प्रभु को पाएगा।
व्यर्थ तर्क से तो नाम जप भला है,
तेरे पाप को मिटाये हैं॥
प्रभु रहते हमारे हृदय में,…

प्रभु रहते हमारे हृदय में,
वे खुद को छिपाए हैं।
जो बुद्धि गुरु कृपा विवेकी,
प्रभु जी दिखे पाए हैं॥