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बढ़ता ही जा रहा हूँ

सीमा जैन ‘निसर्ग’
खड़गपुर (प.बंगाल)
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हर गुजरते वक्त के साथ
मैं बढ़ता ही जा रहा हूँ,
व्यसनों के अम्बार पर
बेहिसाब चढ़ता ही जा रहा हूँ।

आठ-दस फिट कद रहा था कभी मेरा
आज सौ-पचास से ऊपर जा रहा हूँ,
कुदृष्टि भर डाली थी मैंने सीता मैया पर
अब घिनौना अपराधी बनता जा रहा हूँ।

कभी था अत्यंत ज्ञानी पांडित्य पूर्ण
शिवजी का परम अभिमानी भक्त था,
अब चोर, लुटेरा, बलात्कारी बन
गली-गली, घर-घर मौजूद हो गया हूँ।

सच कहता हूँ ओ समाज के ठेकेदारों,
चाहे जलाओ मुझे, रोष नहीं करता हूँ।
पर आज के बलात्कारियों से तुलना…??
मत करना, प्रार्थना इतनी-सी करता हूँ॥