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माँ कात्यायनी-६

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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कात्यायन ऋषि ने तप घोर किया,
भुवनेश्वरी ने पुत्री बन जन्म लिया
सुता कात्यायनी षष्टम नव-रजनी,
अरि-दल-विदारणी, महातेजस्विनी।

स्वर्ण सदृश्य आभामय प्रखर काया,
चारभुजा शस्त्र धारिणी, योगमाया
रक्तरंग वस्त्रधारिणी, रूप मनोहारी,
काम, अर्थ, धर्म, मोक्ष दें माँ प्यारी।

दानव दलन को माँ धरती पर आई,
महिषासुर वध से अमर कीर्ति पाई
सुर-मुनि-वंदित-पग-पद्म-कमल,
शार्दूलवाहिनी माई का हृदय तरल।

गोपियों ने किया कात्यायनी पूजन,
कृष्णप्रेम हेतु यमुनातट पर अर्चन
विवाह योग्य साधक की कल्याणी,
मनवांछित फल दें अमंगलतारिणी।

संतापहारिणी, शुभता की अधिष्ठात्री,
वरदायिनी, अष्टसिद्धि-नवनिधिदात्री।
अम्बे कात्यायनी कृपा त्रैलोक्य आधार,
माँ शक्ति-स्वरूपा सदा करती उपकार॥