सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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ललाट सुशोभित अर्ध शशि,
दश भुजाएं है आयुध धारी
तृतीय माँ चंद्रघंटा रणचंडी,
आद्यशक्ति, जगकृपाकारी।
घंटा नाद गुंजित हो जब-जब,
थर-थर कांपे दानव दुराचारी
भयहरण करती माँ तब-तब,
देती अभयदान माँ उपकारी।
तेजोमय मुखड़ा सूर्य से प्रखर,
आलौकिक, भव्य, बलधारी।
साधकों की सब बाधा हरती,
शीतल रम्यता कल्याणकारी।
सिंह वाहिनी ज्यों प्रचंड वेगिनी,
त्रिलोक के पापी थर-थर थर्राएं
माँ सृजनी, संरक्षिणी, संहारिका,
दूर करें सब रोग-शोक, पीड़ाएं।
आराधना करें एकाग्र चित्त हो,
चंद्रघंटा माता निर्भय की मूर्ति।
वरदमुद्रा से अम्बा वरदान देती,
जीवन में करती सब इच्छापूर्ति॥