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माता के नवरात्रे

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’
कटनी (मध्यप्रदेश )
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सज रहे हर मंदिर देवालय माँ के आए पावन नवरात्रे,
धूम मची गली-मोहल्ले-शहर में छाए पावन नवरात्रे…।

पहले रूप में माता शैलपुत्री सुख भरी झोली देने आई,
करो पूजा भजन माता सबकी खाली झोली भरने आई…।

दूसरे दिन माता ब्रम्हाचारिणी रूप अंगना में आई,
तपस्या संयम धर माता हमें विद्या ज्ञान देने आई…।

तीसरे दिवस माता चंद्रघंटा स्वरूप धर घर मेरे आई,
शीष धरे चंद्रघंटा-सा मैया जी शांति साहस देने आई…।

चौथे दिवस माता कूष्माण्डा का स्वरूप धर आई,
सृष्टि को उपहार जन कल्याण करने धरा मैया आई…।

पाँचवे दिवस माता स्कंदमाता स्वरूप धर अंगना आई,
कार्तिक भगवान के संग मैया जी मेरी धरती पर आई…।

छठे दिवस माता कात्यायनी स्वरूप धर अंगना आई,
अपने पुत्र और पुत्री के जीवन को संवारने धरा आई…।

सातवें दिवस माता कालरात्रि स्वरूप धारण कर आई,
उग्र रूप में माता शत्रु का विनाश करने मेरे अंगना आई…।

आठवें दिवस माता महागौरी स्वरूप धारण कर आई,
गौर वर्ण धारण कर पापों को हमारे हरने मैया आई…।

नवम दिवस माता सिध्दिदात्री स्वरूप धारण कर आई,
मोक्ष की राह बताने वाली माता शक्ति देने हमें आई…।

दसम दिवस माता की विदाई का भावुक दिन लाई,
करने विदा माता को जन सैलाब टूटा, अँखियाँ भर आई…॥