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यदि तुम…

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
मुंगेर (बिहार)
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यदि तुम विवेक सम्पन्न हो,
धर्म की वैज्ञानिकता को समझते हो
अभ्युदय व निःश्रेयस की सिद्धि करते हो,
तो निश्चय ही तुम पुरुष हो…।

यदि तुम ऊर्ध्वगामी हो,
प्राकृतिक सम्पदा का संवर्धन करते हो
क्षणिक लाभ से दिग्भ्रमित नहीं होते हो,
तो निश्चय ही तुम पुरुष हो…।

यदि तुम सहज व शिष्ट हो,
पराक्रमी के साथ-साथ कर्मनिष्ठ हो
आत्म बुद्धि द्वारा विषयों का भोग करते हो,
तो निश्चय ही तुम पुरुष हो…।

यदि तुम अचापल्य हो,
अपैशुन, अहिंसक व आर्जव हो
धृति को स्वयं में धारण करते हो,
तो निश्चय ही तुम पुरुष हो…।

क्योंकि तुम पुरुष हो,
पुरुषार्थ को धारण करते हो।
क्षमाशील, जितेन्द्रिय व सत्यप्रतिज्ञ हो,
इसलिए तुम पूजनीय हो…॥