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राम-सिया अभिनंदन

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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दीप जलें, मन महके (दीपावली विशेष)…

श्री राम सिय, लखन अभिनंदन,
आए निश्चित, प्रण रघुनंदन
करते स्वागत उर रघुनंदन,
घर-घर उत्सव सजे अभिनंदन।

उच्छवास, निभाकर वचन राम,
बन प्रतिष्ठा पुरूषोत्तम राम
कष्ट-कष्ट मनुज-दनुज सह राम,
लौटे नियति पथ-जीवन राम।

स्वच्छ साफ हो घर-आँगन द्वार,
छमा-छम सिंधुजा विभव द्वार
शुद्ध-शुभ पारिश्रमिक उपहार,
लाएँ बांटे हृदय व्यवहार।

भोग अनेकानेक बनाएं,
मिष्ठान, झड़ियाँ सीमित लाएं
पूजन-अर्चन भजन लुभाएं,
मंगल गाएं शुभता लाएं।

नूतन पट आह्लादित हिलोर,
स्नेहिल अन्तःकरण भक्त विभोर
विराज सुमुख हरिप्रिया द्वारे,
रिद्धि-सिद्धि शुभ-लाभ पधारे।

पर्व दिवाली खुशियाँ रलमिल,
तोरण बंधन, लहरा झिलमिल
गृहस्थी सजधज, महके रलमिल,
संवर सतरंगी-भू-झिलमिल।

जगत सजाता दीपक अगनित,
आलोक निलय कुल-अर प्रमुदित
पावन, मंगल खुशियाँ अगनित,
हर्ष, नव विहान उल्लास संवृत।

दीप जलाकर‌ तमस मिटाएं,
अमावस, ज्योति चलन निभाएं
झिलमिल चहुं रघुराज सजाएं,
तमाम अज्ञान हृतल मिटाएं।

सीख, निवेदन आज सुझाएं,
प्राकृतिक रंग चौक सजाएं
जलाधन, राख क्यों ही कराएं,
व्यर्थ वस्तुएं घर क्यों लाएं ?

वंदन रामायण पवित्र सार,
राम कथा आदर्श मूल्य सार।
प्रदत्त राम शक्ति, कष्ट उबार,
‘सरोज’ सियपति! भवसिंधु तार॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।