सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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आए आए गजानन, होकर मस्त मलंग,
भक्तवृंद दर्श मग्न, होत मंगल भगवन।
वंदनीय सदा तुम, पूजनीय सदा तुम,
अनुपम देह तुम, अग्रपूज्य भगवन।
अभिनंदन हे! दिव्य, अभिनंदन हे!पूज्य,
तुम अति अद्वितीय, पार्वती माँ के नंदन।
चौकी चंदन सजाऊं, श्रद्धा से तुम्हें बिठाऊं,
स्तुति रह रह गाऊं, विराजो शिवनंदन।
हर्ष सिंगार कराऊं, पुष्प-दूर्वा मैं चढ़ाऊं,
मोदक भोग लगाऊं, शीश नवाऊं सुनंद।
कितना अदृभुत रूप, देख-देख गणभूप,
निहारूं सदा स्वरूप, विकसे गृह कुमुद।
अलख-अलख तुम, दरकार सदा तुम,
परमानंद स्वरूप, धन्य सर्वत्र हे!सुर।
रिद्धि-सिद्धि के दायक, सदा विघ्न विनायक,
विपुल मति दायक, सरताज सभा उर।
गल पुष्प माल साजे, मस्तक कुंजर साजे,
लम्बा उदर विराजे, मूषक राज वाहन।
प्रेरणादायक ईष्ट, वरदमूर्ति अभीष्ट,
अतुलनीय बलिष्ठ, श्रवण अनुकीर्तन।
शिव शंकर के लाल, पार्वती मैया के बाल,
धरी तुमने मिसाल, त्रिभुवन घेर पुण्य।
कुमति निवार दाता, श्रवण श्रेष्ठ विधाता,
सुपथ सुनीति दाता, अहमता कर शून्य॥
परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।