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शिव की लौ लगा ले रे…

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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शिव का नाम मीठा लागेगा, लौ लगा ले रे।
सुख-दुःख हैं चार दिन ये मन बसा ले रे॥

बार-बार जग नाते बदलें-बदलें प्रेम कहानी,
भक्ति बिन जीवन बेमानी मौत है आनी-जानी।
शिव प्रेमी हैं सच्चे हितैषी खुद को रटा ले रे,
सुख-दुःख हैं चार दिन ये मन बसा ले रे…॥

नाम ही भक्तों का भोजन निसदिन बनता है प्यारे,
खाते गिन-गिन रोटी-टुकड़ा नाम प्रभु के सहारे।
भक्ति-भजन से अपने तन-मन को चमका ले रे,
सुख-दुःख हैं चार दिन ये मन बसा ले रे…॥

ज्ञान में ऊँचे शिव की कृपा से भक्ति भी है ऊँची,
संतों भक्तों के पीछे चल दुनिया शिव तक पहुंची।
सीढ़ी है शिव नाम स्वयं को उसपे चढ़ा ले रे,
सुख-दुःख हैं चार दिन ये मन बसा ले रे…॥

ज्ञानी हो या नीच हो, भक्ति से ही पावन होता है,
प्रभु नाम का पल्ला पकड़ने से ही तारन होता है।
ले ढाल शिव नाम माया से खुद को बचा ले रे,
सुख-दुःख हैं चार दिन ये मन बसा ले रे…॥

शिव का नाम मीठा लागेगा लौ लगा ले रे,
सुख-दु:ख हैं चार दिन ये मन बसा ले रे…॥