पटना (बिहार)।
आजकल कविता के नाम पर गद्य को पदय घोषित करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ती जा रही है। काव्य-बिम्बों का लोप होता जा रहा है और कविता का रस कईबार शुष्कता में बदल जाता है, लेकिन इसी दौर में कुछ नई प्रतिभाएँ अपनी मौलिकता और संवेदनात्मक कारीगरी के साथ कविता में काव्यत्व की लौ को जलाए हुए हैं। इन्हीं रचनाकारों में उभरता हुआ महत्वपूर्ण नाम है सविता राज का। सविता राज की कविताएँ घर-परिवार, समाज और व्यक्ति के भाव-विश्व की बारीक परतों को खोलती हैं। संवेदना और काव्यात्मक प्रयोग की सशक्त अवाज है सविता राज की कविताएं।
यह विचार भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आभासी माध्यम से हुए कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने व्यक्त किए। अध्यक्षता करते हुए युवा कवयित्री सविता राज ने कहा कि इस मंच की विशेषता यह है कि यह नए और पुराने दोनों ही रचनाकारों को अपनी काव्याभिव्यक्ति का अवसर प्रदान करता है। आज प्रस्तुत अधिकांश कविताएँ अपनी-अपनी शैली में आकर्षित करती रहीं।
आयोजन में प्रभारी अनीता रश्मि द्वारा कवियों को आवश्यक सुझाव भी दिए गए, ताकि वे अपने सृजन को और उत्कृष्ट बना सकें।
शामिल कवियों में गोविंद, सविता राज, नंदकिशोर मिश्रा, विजया कुमारी मौर्या, राज बोहरा और मीरा सिंह आदि रहे।
संचालिका के रूप में राज प्रिया रानी ने जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। अनीता मिश्रा ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।
