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‘सावन ने पाती लिखी जब…’ काव्य गोष्ठी में हुई मधुर प्रस्तुति


भोपाल (मप्र)।

‘इस सावन ने पाती लिखी जब धरती के नाम, उमड़- घुमड़कर बरस रहे, नित देखो घनश्याम’ जब यह पंक्तियाँ वरिष्ठ साहित्यकार घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने पढ़ी तो पश्चिम मध्य रेल का ओबीसी सभागार तालियों से गूंज उठा।
यह अवसर रहा रेल साहित्य परिषद द्वारा पावस काव्य गोष्ठी का, जिसका अनिल कुमार साकेत ने सरस्वती वंदना से शुभारंभ किया। नमन चौकसे ने कवि गोष्ठी को आगे बढ़ाया-‘मुझे याद आती है बारिश मेरे बचपन की’ तो कुमार अखिलेश ने वर्षा का चित्र खींचा-‘बरसते मौसम में ख्याल आता है, आसमान जमीं से किया हुआ वादा निभाता है।’ ग़ज़लकार कमलेश नूर, अशोक गौतम, नीतिराज चौरे, सतीश श्रीवास्तव के साथ ही गोष्ठी में गिरिजा शंकर नीर, वीरेंद्र बड़गैय्या, अजय शर्मा, सुरेश कुशवाह ने भी अपनी महत्वपूर्ण कविताएं प्रस्तुत की।

सफल संचालन कुमार अखिलेश ने किया। नीतिराज चौरे ने आभार माना।