प्रति,
माननीय संयुक्त सचिव,
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय,
भारत सरकार, नई दिल्ली-
११०००१
विषय:-सीमा सड़क संगठन द्वारा राजभाषा अधिनियम १९६३, राजभाषा नियम १९७६ तथा राष्ट्रपति के आदेशों का सतत उल्लंघन।
महोदय,
सविनय निवेदन है, कि सीमा सड़क संगठन (रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक प्रमुख विभाग) द्वारा राजभाषा अधिनियम १९६३ की धारा ३(३), राजभाषा नियम १९७६ के नियम ५, ८, १० और ११ तथा राष्ट्रपति के २७ अप्रैल १९६०, ३ नवम्बर १९८६ एवं २ जुलाई २००८ के राजभाषा आदेशों का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है।
संगठन की वेबसाइट, प्रेस विज्ञप्तियों, भर्ती-सूचनाओं, प्रकाशनों एवं शिलालेखों में हिन्दी की उपेक्षा और अंग्रेज़ी को एकमात्र कार्यभाषा के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। यह न केवल राजभाषा अधिनियम के विपरीत है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद ३४३ से ३५१ तक निर्धारित राजभाषा प्रावधानों का भी स्पष्ट उल्लंघन है।
विशेष रूप से निम्न बिंदु गंभीर उल्लंघन को प्रदर्शित करते हैं-
सीमा सड़क संगठन की आधिकारिक वेबसाइट (https:/ /bro.gov.in) का हिन्दी संस्करण अत्यंत अशुद्ध, अपूर्ण और त्रुटिपूर्ण है। अनेक पृष्ठ अंग्रेजी से यांत्रिक रूप में अनूदित प्रतीत होते हैं, जिनमें अर्थहीन या व्याकरणविहीन वाक्य प्रयोग किए गए हैं। वेबसाइट पर हिन्दी का विकल्प छिपाकर दिया गया है, जो आम जनता को दिखाई नहीं देता है; जबकि लैंडिंग पेज पूर्णतः द्विभाषी बनाया जाना चाहिए, ताकि उपयोगकर्ता अपनी भाषा चुन सके।
सभी प्रेस विज्ञप्तियाँ, समाचार और भर्ती-सूचनाएँ केवल अंग्रेजी में प्रकाशित की जाती हैं, जबकि धारा ३(३) एवं राजभाषा नियम १९७६ के नियम ११ में यह अनिवार्य किया गया है, कि ऐसे सभी संचार दोनों भाषाओं में एकसाथ निर्गत हों।
निविदाओं, भर्ती सूचनाओं, विज्ञापनों और आवेदन-पत्रों में हिन्दी का प्रयोग वर्जित है। यह नीति न केवल राजभाषा नियमों के विपरीत है, बल्कि हिन्दी भाषी अभ्यर्थियों के प्रति भेदभाव भी उत्पन्न करती है।
संगठन द्वारा निर्मित सड़कों, पुलों, सुरंगों एवं परियोजनाओं के सभी शिलान्यास-पट्ट, नामपट्ट और बोर्ड केवल अंग्रेजी में अंकित हैं। अटल सुरंग (रोहतांग) इसका प्रमुख उदाहरण है।
गत ५ वर्षों से मील के पत्थरों पर केवल अंग्रेजी का प्रयोग किया जा रहा है, जबकि १९६८ के राजभाषा संकल्प तथा संसदीय राजभाषा समिति की ४४वीं एवं ५६वीं रिपोर्टों में स्पष्ट निर्देश है, कि सार्वजनिक स्थलों, संकेत-पट्टों और राजमार्गों पर हिन्दी को समान स्थान दिया जाए। जहाँ कहीं १-२ स्थानों पर शिलापट्टों पर हिन्दी का प्रयोग किया गया है, वहाँ हिन्दी वाले शिलापट को अंग्रेजी के बाद पीछे या नीचे रखा जाता है, जबकि यह नियम ११ का उल्लंघन है क्योंकि हिन्दी का प्रयोग सदैव अंग्रेजी से पहले, आगे व ऊपर किया जाना अनिवार्य है।
संगठन के कार्यालयों द्वारा रबर मुहरें व पत्रशीर्ष केवल अंग्रेजी भाषी प्रयोग किए जा रहे हैं।
अघोषित रूप से सीमा सड़क संगठन द्वारा सभी शिलापट, दिशा सूचक व सुरंगों के डिजिटल बोर्डों में हिन्दी का प्रयोग प्रतिबंधित किया गया है। सभी के प्रमाण संलग्न हैं, इसलिए संगठन के झूठे दावों व रिपोर्टों पर विश्वास न करें।
संगठन की वेबसाइट पर सूचना अधिनियम की १०० प्रतिशत जानकारी, प्रकटन व निविदाएँ केवल अंग्रेजी में ही अपलोड की गई हैं।
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है, कि सीमा सड़क संगठन द्वारा हिन्दी भाषा के प्रति निरंतर उपेक्षा, भेदभाव और विधिक प्रावधानों की अवमानना की जा रही है।
अतः निवेदन है, कि-
सीमा सड़क संगठन को निर्देशित किया जाए कि वह अपने सभी विभागीय संचार, वेबसाइट, प्रकाशन, परियोजना-पट्टों तथा विज्ञप्तियों में हिन्दी का शुद्ध, समान और सम्मानजनक प्रयोग सुनिश्चित करे।
इस प्रकरण की जाँच हेतु राजभाषा विभाग का निरीक्षण दल गठित किया जाए और उत्तरदायी अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की जाए।
राजभाषा विभाग द्वारा इस शिकायत को संसदीय राजभाषा समिति की अगली रिपोर्ट में उल्लंघन के उदाहरण के रूप में सम्मिलित किया जाए।
संलग्नक:
(क) वेबसाइट के हिन्दी एवं अंग्रेजी संस्करणों के स्क्रीनशॉट- निविदाओं, नीतियों जैसे अनेक उदाहरण वेबसाइट पर हैं।
(ख) शिलालेख एवं मील के पत्थरों के छायाचित्र।
भवदीय,
विपुल कुमार जैन
दमोह (मध्यप्रदेश)
प्रतिलिपि:
माननीय गृह मंत्री, भारत सरकार।
सचिव, राजभाषा विभाग, भारत सरकार।
सचिव, संसदीय राजभाषा समिति।
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुम्बई)
