गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
*****************************************
अभी तो रुको जरा पिक्चर अभी बाकी है,
ए भाई, ए भाई, ए भाई…
कोई धमाका नहीं… ना कोई लाठीचार्ज…
ना टी.वी. पर ब्रेकिंग न्यूज…
बस एक नाम… एक कागज़… और एक दस्तक।
जहाँ लड़ाई बंदूक से नहीं, दस्तावेज़ से लड़ी जा रही है
जहाँ दुश्मन कोई सेना नहीं… बल्कि फर्जी वोटर हैं… घुसपैठिए हैं… फर्जी राशन कार्ड हैं…
तैयारी कब से चल रही थी…
तुम्हें पता ही नहीं चला।
सबसे खतरनाक वार,
नया कानून आया
ना भाषण… ना बवाल… बस एक सीधी गली “अगर कागज़ पूरे नहीं पहचान खत्म।”
बिहार से आगाज,
बीएलओ दरवाजे पर खड़ा…
“दिखाओ जन्म तिथि प्रमाण, दिखाओ वंशावली, दिखाओ ज़मीन के दस्तावेज़।”
फर्जी नाम ?-डी मार्क… डिलिट
वोट कैंसिल… राशन कैंसिल… नागरिकता भी हवा।
आगे टारगेट तय है-
बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक
२०२८ तक-करोड़ों की छंटनी,
कोई गोली नहीं, कोई बम नहीं…
बस कागज़ की मार,
जो बिचौलिए सालों से वोट का सौदा कर रहे थे,
जो नेता वोट बैंक के नाम पर सौदेबाज़ी कर रहे थे
अब उनके वोट सूखेंगे।
झूठा वोट मरेगा…
झूठी रैली बिखरेगी
भारत अब अनाथालय नहीं…
माँ है… और माँ का हिसाब बराबर होगा,
ये युद्ध का नया चेहरा
ना खून, ना चीख…
बस नाम उड़ेंगे… वोट गायब होंगे…
और देश साँस लेगा,
तैयार हो जाओ…।
हमारा देश बदल रहा है…,
कानून की तलवार चल पड़ी है॥
परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”