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अच्छी ज़िद

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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राजू बहुत खुश था,होता भी क्यों नहीं। उसके दादाजी आने वाले थे,पर थोड़ा नाराज़ भी थाl एक हफ्ते से माँ और पापा से पैसे मांग रहा था, कोई उसे दे नहीं रहा थाl भाई ने भी नहीं दिए,जो सातवीं कक्षा में पढ़ रहा था गौरव,उससे तीन साल छोटा था राजू।
गरमी में ही अपने दोस्तों से वादा किया था कि हम सब साथ में मिलकर बहुत सारे पौधे लगायेंगे। छुट्टियों में राजू नानी के यहां चला गया और वह दोस्तों से इस काम में बिछड़ गया। सारे दोस्तों ने चिढ़ाना शुरू कर दिया,इसलिए उनके साथ खेलने भी नहीं जाता था।
राजू आज भूख हड़ताल पर था,-“जब तक मुझे पैसे नहीं मिलेंगे,तब तक मैं खाना-नहाना कुछ नहीं करूंगा।”
बस एक कमरे में बंद हो गया। शाम को दादाजी आ गये। दादाजी आते ही राजू का नाम चिल्लाना शुरू कर दिया। दादाजी ने उसे बुलाया। क्यों न बुलाए,राजू लाड़ला जो था।
मुँह लटका कर राजू ने पैर छुए।
“क्या बात है! क्यों नाराज हो खाना-वाना छोड़े हो ?”
पूरी बात पता चलने पर दादाजी ने खूब ठहाका लगाया। “इतनी-सी बात है,चलो अपने पोते की मनोकामना मैं पूरी करूंगा।
तू पच्चीस पौधे बोला,मैं पचास पौधों की तैयारी करता हूँ। इससे अच्छी कोई बात नहीं हो सकती। वाह,क्या पोता है मेरा। ”
राजू बहुत खुश। “आज अपने दोस्तों को आइसक्रीम की पार्टी दूंगा।”
राजू की छोटी आयु में बड़ी और सही सोच पर दादाजी खुश थे।

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।