कुल पृष्ठ दर्शन : 150

You are currently viewing अदृश्य

अदृश्य

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

तुम जिस घर मे रहते हो…,
जो कपड़े पहनते-ओढ़ते-बिछाते हो…
जो रोटी खाते हो…,
जिस गाड़ी पर सफर करते हो…
जिस सड़क पर चलते हो…,
जिन बागों में टहलते हो…
और दुनिया की तमाम…
भौतिक सुख-सुविधा…,
उपयोग करते हो…
तुम्हारे ज्ञान-विज्ञान में छिपे,
तुम्हारे नर्म गुलाबी खूबसूरत
हाथ के पीछे..अदृश्य…,
खुरदुरी धूल मिट्टी सनी…
दो मेहनतकश वरद मुद्रा में…।
फफोलों वाली काली…,
कठोर हथेलियाँ है…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply