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विचारों के बिना जीवन सम्भव नहीं

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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बिना विचारों के जीवन तो सम्भव है। सम्भवतः जानवर भी अपना जीवन यापन करते हैं,जबकि जानवरों को विचार नहीं आते,परंतु मानव जीवन विचारों के बिना सम्भव नहीं है। आवश्यक यह भी नहीं है कि मानव आकृतियों में दिखाई देने वाले समस्त इंसान मानव ही हों।
विचार मानव जीवन का आधार हैं,जिनके बिना मानव का जीवित रहना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव है। चूंकि प्राणी की सम्पूर्ण जीवनधारा अद्भुत एवं विचित्र विचारों के समूहों पर टिकी हुई है। इन्हीं विचारों पर हमारा सौभाग्य और दुर्भाग्य निर्भर करता है,जबकि रिश्ते-नाते,न्याय-अन्याय, सेवा,करुणा,सुख-दुख,ईमानदारी-भ्रष्टाचार,देशद्रोह-देशभक्ति और अंहकार आदि भी विचारों की ही आधारशिला पर टिका हुआ है। सर्वविदित है कि जानवरों में सभ्यता और संस्कृति की कोई दीवार नहीं होती।
विचार मानव की समझ व ज्ञान के घोतक हैं। वह विचार ही हैं जो व्यक्ति को मान-सम्मान दिलाते हैं और उनके बल पर ही व्यक्ति महान बनता है। हालांकि,यह बात सोचनीय है कि विचारों पर विचार करने वालों की अधिक संख्या मानवीय वृत्ति है या राक्षस प्रवृति की है ?
यही विचार मानव की बुद्धि मूल्यांकन हेतु अनेक परीक्षणों के आधार बनते हैं,जिनके आधार पर मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन कर इस निर्णय पर पहुंचते हैं कि उक्त मानव कितना बुद्धिमान अर्थात प्रतिभाशाली है।
हालांकि,जिज्ञासुओं की जिज्ञासा भी मन में उमड़े विचारों को ही दर्शाती है,क्योंकि न्यूटन को यदि यह विचार नहीं आया होता कि आम के पेड़ से गिरने वाले समस्त आम भूमि पर ही क्यों गिर रहे हैैं ? तो भौतिक विज्ञान में गुरूत्वाकर्षण का भंडाफोड़ कभी भी नहीं होना था।
अतः व्यक्ति की सफलता एवं असफलता उसके सकारात्मक एवं नकारात्मक विचारों पर ही निर्भर करती है। सम्पूर्ण सत्य यह है कि विचारों के बिना मानव जानवर समान है। दूसरे शब्दों में निष्कर्ष यह निकलता है कि पूरे ब्रह्मांड पर मानव द्वारा विजय प्राप्त करने का प्रयास भी विचारों से ही सम्भव है और विचारों के बिना इंसानी अस्तित्व की पहचान शून्य है।

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैL कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

 

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