सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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प्रकृति और खिलवाड़…
दो तर्क पूर्णता से घिरे सवाल ?
दोनों ही सवालों के हैं
एक पूरक सबल,
जवाब।
प्रकृति ब्रम्हांड की,
ईश्वरीय देन है
पृथ्वी का सौन्दर्य शान,
प्रकृति प्राणवायु का सचित्र
स्वरूप में दिव्यज्ञान के साथ,
विद्यमान है पंच तत्व से
‘क्षति जल पावक गगन समीरा’
पदार्थिक दृग्विषय से भौतिक व
रासायनिक विज्ञान के साक्षात् दर्शन,
करने में सक्षम होते हैं
प्रकृति के पर्यावरण से जुड़े हम हैं,
इसकी तनिक-सी
बेपरवाही जीवंतता में हो जाते,
अफरा-तफरी चाहे जीव-जंतु हो
या पेड़-पौधे जगत के महान।
प्रकृति के साथ यदि खिलवाड़ हो तो,
मानवता की मानवीय संस्कृति
सभ्यता व संस्कार में निश्चित होते,
दूर व्यवहार की प्राक्रम
प्रकृति प्राकृतिक के रहनुमा होते,
हरी-भरी हरियाली से गूँजे
सारा जहां, ऊंचे-ऊंचे पर्वत-शिखर,
उफनता सागर, बलखाती नदियाँ
कलरव करती उन्मुक्त गगन के,
परिंदे सभी के सभी हैं प्रकृति के
सौरभ सुरभि अमृत समान।
‘खिलवाड़’ के खिलवाड़ी तो हों,
कुशल खिलाड़ियों के बीच
अपने सामर्थ्य, शौर्य, वीरत्व की,
महत्ता से न की प्रकृति के
मूक अवाक अवतरित पर्यावरण की,
वैभवत्व में जाने-अनजाने
प्रकृति शाश्वत स्वरूप है समृद्ध,
सपन्न यश-कृत्व के संरक्षण में
इसके साथ किसी तरह का खिलवाड़,
असहनीय और अवैध है,
जीवन उत्थान व प्रगति के अग्रणीय,
होकर प्रकृति की प्राकृतिक वैभवत्व की।
रखवाली में अपनी मान-मर्यादा,
सेहत सुन्दर कंचन काया-कल्प से॥
परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।