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अहिंसा का पाठ

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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रूस-यूक्रेन विशेष….

आखिर क्यों हिंसा का,
पाठ पढ़ाया जाता है
क्यों स्वार्थ की खातिर,
लोगों को बरगलाया जाता है।

क्या खूब खिले थे यूक्रेन के लोग,
कमल के पुष्प की तरह
लड़ कर आखिर क्या पाया है,
धन दौलत और ज़मीर की खातिर
हँसते-खेलते लोगों को,
जान से मरवाया है।

खून के प्यासे हो गए हैं,
घर-परिवार को भूल गए हैं
कैसी विपदा ये आई है,
हर तरफ निराशा छाई है।

भविष्य बनाने गए बाहर जो,
उनका लौटना मुश्किल हो गया है
कैसे-कैसे सपने संजोए थे,
अब जीना भी दुश्वार हो गया है।

चारों तरफ हाहा-कार मचा है,
भारी दुश्मन की मार पड़ी है
लाशों के ढेर हो गए,
देखो कैसी दुश्मन ने चाल चली है।

खण्डर हो गए रैन-बसेरा,
कहां लगे अब गरीब का डेरा
घुट-घुट कर सब जी रहे हैं,
दुश्मन ने लगा रखा है फेरा।

हे भगवन् बेड़ा पार लगा दे,
सबको अहिंसा का पाठ पढ़ा दे।
टूट जाए हिंसा की बेड़ी,
ऐसी दुनिया में अलख जगा दे॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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