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रंगों की फुहार

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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राधा बृषभान की छोरी,प्रेम रंग से खेले होली,
मन पर प्रेम र॔ग की पिचकारी,श्याम ने खूब मारी…
अंग-अंग,रोम-रोम भीगा,राधा श्याम की होली।

गोपियों का महारास,बना गोकुल की पहचान,
माखन-मिसरी के बहाने नाचे जगत कन्हैया…
गोपियाँ श्याम स॔ग होली,प्रेम रंग से खेलें होली।

भक्ति के रंग में एक बालक ने खेली होली,
अग्नि की लपटें भी भक्त के संग खेले होली…
जली होलिका प्रह्लाद की श्याम संग होली।

शहीदों ने खेली देश भक्ति के रंग से होली,
तिरंगे को रंगा है,देश प्रेम का रंग चढ़ा…
दुश्मन के स॔ग रोज खेलते खून की होली।

सदगुरू का कहना,सदभावना का रंग है निराला,
छोटे-बड़े सब खेले होली,सबको गले लगाना…।
दीन-बन्धु की कर सेवा,प्रेम रंग की खेलें होली॥

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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