लोकार्पण…
इंदौर (मप्र)।
लेखिका का सृजन अपील करती सुंदर लघुकथाएं हैं। यह स्वतः सकारात्मक और मार्मिक लेखन है, जो डियो और परफ्यूम छिड़ककर बनावटी नहीं बनाया गया है। लघुकथाएं मानव चेतना की प्राथमिक सूची हैं। पहले आंतरिक सौंदर्य बोध है। साहित्य की देह की आत्मा लघुकथा है और इन सब पर लेखिका की लघुकथाएं सटीक बैठती है।
यह बात मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी मप्र के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने इंदौर प्रेस क्लब में कही। अवसर रहा डाॅ. दीपा मनीष व्यास की साहित्य अकादमी मप्र से चयनित प्रथम कृति ‘आईना हँसता है’ (लघुकथा संग्रह) के लोकार्पण का, जो सृजन संवाद साहित्य एवं कला मंच के तत्वावधान में किया गया। लेखिका ने कृति पाठकों को समर्पित की और कहा कि सभी से प्रेरणा लेकर लघुकथाएं रच पाई हूँ।
चर्चाकार ज्योति जैन ने संग्रह को विपरीत परिस्थितियों में मुस्कुराते रहने जैसा बताया। लेखिका की लघुकथाओं में नकारात्मकता का समावेश न के बराबर है, और दीपा काँच में से हीरे चुनती है। लेखिका ने सरलता से बोलचाल की जीवंत भाषा में अच्छी लघुकथाएं गढ़ी हैं।
विशिष्ट अतिथि डाॅ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल ने कहा कि लघुकथाएं लिखना हों तो कार्टूनिस्ट का अनुसरण करना चाहिए।छोटी-छोटी कथाएं सदैव दिमाग में चलना चाहिए। लेखिका ने इन्हीं पैमानों पर अच्छी लघुकथाएं रची है। समस्या उठाई है तो समाधान भी खोजा है।
अध्यक्षता कर रहे डॉ. पुरुषोत्तम दुबे ने लघुकथाओं को मयार बताते हुए कहा कि लघुकथा का सृजन प्लेटफार्म पर करवट ले रहा है। वही करवट लेखिका की लघुकथाओं में देखने को मिलती है। इस संग्रह में हँसी के विविध रूप देखने को मिलते हैं।
समारोह में अतिथियों का स्वागत मदन लाल दुबे, अशोक मण्डलोई, मुकेश तिवारी आदि ने किया।
वामा साहित्य मंच, बावीसा ब्राह्मण प्रतिभा मंच आदि ने लेखिका का स्वागत किया। सुंदर संचालन स्मृति आदित्य ने किया। आभार मनीष व्यास ने माना।