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आजादी के परवाने

डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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गणतंत्र दिवस : देश और युवा सोच…

हम जश्न मनाएं आजादी का,
और वीरों का गुण-गान न हो
इतिहास की कोई किताब नहीं,
जिस पर उनका नाम ना हो।

भूलें हम कैसे उन वीरों को,
जो आजादी के परवाने थे
मातृभूमि की खातिर मिट गए,
वो बलिदानी, वीर दीवाने थे।

नमन करें उस माँ को जिसने,
लाल, बाल और पाल दिए
वतन पर अपनी जान देने को,
भगत, बिस्मिल, आजाद दिए।

जो फूल बन गए थे अंगारे,
सुन, ले उनकी माँ का कहना
ले बेटा हथियार खरीद ले,
बेच डाल ये मेरा गहना।

चौरी-चौरा, और काकोरी,
काण्ड को था अन्जाम दिया
जनरल डायर को मारी गोली,
और अपना इंतकाम लिया।

फांसी के फंदे को चूमा,
और हँसते-हँसते झूल गए
ओढ़ कफन, दफन जो हो गए,
ना होगा, कि हम भूल गए।

आजादी का जश्न हमारा,
इनके बिना अधूरा होगा
वतन आजाद हमें दिया है,
उनका तो कर्ज चुकाना होगा।

यूँ ही नहीं तिरंगा अपना,
गगन में शान से लहराता है।
आजादी के परवानों की,
बीती गाथा हमें सुनाता है॥

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