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आत्म-अभिलाषा

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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कल को किसने देखा,
जो हुआ उसे तो देखा
जो हो रहा वो तो देख,
रहा मैं और ये जमाना।

प्रश्न उठे तो उठे वो,
जो सटीक हो उसी
के हित में भावी के,
कर्म नित आलोक।

संतत्प में रहते वो साथी,
जिसकी अभिलाषा सब
तुझमें ही समाए जीवनी,
के भ्रमणित लोभ-मोह में।

उम्मीद में संकीर्णता क्यों ?
हो! जब क्लेश की भावों
से दूर यूँ सजली निगाहें,
कर्म योद्धा से धर्म निभाते।

जीवन गति में निखार हो,
निश्चल सुभाषित कल्पना
की प्रतिष्ठित पराकाष्ठा पर,
समार्थ्य उदित दिव्य दृष्टि।

अकर्मण्य से सेवार्थ दृश्य के,
अलंकृत भाव सिमट जाते
ही नवोदय शीर्ष‌ के उन्नतैय,
प्रगतिशील जीवंत उदाहरण।

धरा-अंबर में यशकृति को,
मिले सारस्वत सम्मान के
अभिप्रणाम यशश्वी ऐश्वर्य,
का स्वरूप साक्ष्य परिणाम।

चैतन्य संस्कृति सभ्यता संग,
सुसंस्कार को‌ अदम्य स्वर्णिम
प्रभा से तमसोमाज्योतिर्गिमय में,
आलोकित होते दिव्यमान।

आस्था शौर्य सेवा समाजिक,
देश-हित में समर्पित साधक
के सर्वप्रमुखता से सशक्त हो,
कर्तव्यनिष्ठ भावना से सप्रांत।

अर्थाभाव से अराजक के पूर्ण,
लोकतंत्र प्रजातंत्र के स्थायित्व
निर्वाह में संघर्षी बढ़ रहे कदम,
कदापि रूक ना पाई राष्ट्रोत्थान।

कलात्मक का प्रकाश्य स्रोत,
तूलिकावध नियोजित होकर
कला-कृति को समृद्ध वैभव,
परिकल्पना से परिभाषित हो।

सम्बोधन से मंत्रमुग्ध हो जाती,
प्रजातंत्र की लोकोपयुक्त पंक्ति
जनमुक समुदाय वैमुख अधीर,
बैमूरत बन अपनी गैर नसीबी में।

आत्म-अभिलाषा के अतृप्त,
संशय की अंतर्वेदित संवेदनीय।
क्षितिज की गहन गहराई समुद्र,
की अथाह विस्तृत गगन ऊंचाई॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।

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