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आसमान तक रोया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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मेरी सेना के योद्धा (केंद्र- जनरल बिपिन रावत)

रोया हिमगिरि रोई धरती आसमान तक रोया है,
जब भारत का वीर शिरोमणि जनरल रावत खोया है।

झुका नहीं दुश्मन के आगे,उसने सदा झुकाया है,
थर्राता था जिससे दुश्मन हमने उसे गँवाया है।

बनकर के तूफान सदा दुश्मन के होश उड़ा देता,
सिंह गर्जना अरु गोलों से ही दोज़ख़ पहुँचा देता।

काम बहुत बाकी था उसका पर ऐरावत चला गया,
निष्ठुर मौत ले गई उसको काल के हाथों छला गया।

कर्तव्यनिष्ठ वो वीर बाँकुरा जन-जन का वो प्यारा था,
था बहादुरी की मिसाल वो कभी नहीं रण हारा था।

जो भारत की तीनों सेनाओं का भी सरताज था,
निडर साहसी योद्धा कैसा वीर बड़ा जाँबाज था।

क्रूर मौत ले गई छीन कर भूल ये कैसे जाएँ हम,
अश्रुपूरित आँखों से अब श्रद्धा सुमन चढ़ाएं हम।

जनरल रावत गए नहीं तुम अमर हो गए यादों में,
झुका तिरंगा,भारत भीगा आँसू की बरसातों में।

तेरी कुर्बानी को ये संसार कभी नहीं भूलेगा।
जन गण मन के साथ नाम अब आसमान में गूँजेगा।

स्वर्णाक्षर में नाम तेरा इतिहास में लिखा जाएगा,
नमन तुम्हें ऐ वीर,तेरा बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

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