Total Views :158

You are currently viewing उन्मुक्त हँसी…

उन्मुक्त हँसी…

एम.एल. नत्थानी
रायपुर(छत्तीसगढ़)
***************************************

आज हँसना भी कठिन
काम में शुमार हो गया है,
झूठ के संसार में सच्चाई
बचाना गुबार हो गया है।

उन्मुक्त हँसी के ठहाके
अतीत की बातें हो गई है,
मुस्कुराता चेहरा देखकर
यह पुरानी यादें हो गई है।

जीवन के भ्रम में जीने
को यह सारा संसार है,
हँसी-खुशी से रहना भी
आज फिर से दुश्वार है।

सच्चाई के धरातल पर
रहना मुश्किल होता है,
ठहाकों के स्वर गूंजना
नहीं मुक्कमल होता है।

हँसी-ठहाके एवं कहकहे
जाने कहां खोते जाते हैं।
भाग-दौड़ भरी जिंदगी में,
उन्मुक्त हँसी नहीं पाते हैं॥

Leave a Reply