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`कोरोना`: जीवन शैली बदलने का संकेत,समय भी

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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बदलाव प्रकृति का नियम है और जीवन का आधार प्रकृति है। इसलिए `कोरोना` हो या कोई भी अन्य विकट वैश्विक चुनौती,जीवन-शैली बदलने की अति आवश्यकता होती है। चूंकि,प्रकृति जीवन जननी है और प्रत्येक जीव-जन्तु प्रकृति की कोख से उत्पन्न हुआ है,जिसे विभिन्न धार्मिक ग्रंथ एवं विद्वानों सहित वैज्ञानिक भी मानते हैं। इसीलिए प्रकृति को ही ईश्वर की संज्ञा दी गई है।
संभवत:,प्रकृति कोरोना के माध्यम से मानव जाति को सांकेतिक सुझाव दे रही है कि हे मानव संभल जा और प्रकृति से मत खेल। अन्यथा परिणाम इससे भी भयंकर होंगे।
सर्वविदित है कि,वर्तमान मानसिकता अंधे को अंधा,काने को काना,गंजे को गंजा,लंगड़े को लंगड़ा और मानसिक तनाव से गुजरने वाले रोगियों को पागल शब्दों के प्रयोग से आनंद लेती है,जबकि अब स्थिति यह हो गई है कि उपरोक्त अत्याधिक मानव इसलिए पागल हुए जा रहे हैं कि,उनके भ्रष्टाचार द्वारा अर्जित धन तो क्या,खून-पसीने के गाढ़े परिश्रम से कमाया धन भी काम नहीं आएगाl फिर भी अपने शब्दों में बदलाव नहीं ला रहे,जो दुर्भाग्यपूर्ण है।हालांकि,तथाकथित बुद्धिमान,ईमानदार,जनसेवक, विभिन्न धर्मों के धर्मात्मा अपने-अपने कुकर्मों का प्रायश्चित तालियां,थालियां व घंटा बजाकर `एकांतवास` का भी एकमात्र सहारा ले रहे हैं,किन्तु अपने आचार-व्यवहार में बदलाव का प्रयास नहीं कर रहे।
इसलिए परमाणु बम,हाईड्रोजन बम व हवा से हवा में मारने वाली मिसाईलों पर ऐंठने वाले राष्ट्र भी घुटने टेक चुके हैं,जिसके बावजूद शवों की भांति ऐंठने वाले अंहकारी,दुराचारी मानव व राष्ट्र समय की दृष्टि को गच्चा देते हुए अपनी-अपनी जीवन-शैली को बदलने का प्रयास तक नहीं कर रहे,जबकि समय ‘कोरोना’ के रूप में नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करने का राष्ट्रीय ही नहीं,बल्कि अंतरराष्ट्रीय अथक संदेश दे रहा है।

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैl इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैl वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैl राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैl कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंl आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैl प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंl कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंl अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैl प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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