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उम्मीद ना कर

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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धुंए के बादलों से,
बरसात की
उम्मीद ना कर,
उदास सुबह से
सुकून की रात की,
उम्मीद न कर।

बेरुखी से,
फेर कर मुँह
जो चल देते हैं,
कभी भी उनसे
हसीं मुलाक़ात की,
उम्मीद ना कर।

देकर वास्ता मजबूरी का,
छुड़ा लेते हैं जो दामन
उनसे उम्रभर साथ की,
उम्मीद ना कर।

मन की बंजर भूमि पर,
खिलेंगे नेह के फूल
ऐसी करामात की,
उम्मीद ना कर।

क्यों तलाशता है,
सहरा में चमन ?
होगी खुशी की बरसात,
उम्मीद ना कर।

बिठा के पलकों पे,
कोई तुझे ले जाएगा
सजाएगा कोई,
अरमानों की बारात
उम्मीद ना कर।

जो लिखा ही नहीं,
मुकद्दर में तेरे।
मिलेगा लकीरों में हाथ की,
उम्मीद ना कर…॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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