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सत्य

डॉ.किशोर जॉन
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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मौत की कगार पे खड़ा सत्य,
मौत के बाज़ार में,इंतज़ार में l
तार-तार हो चुके हैं कपड़े
सत्य को ढकते-ढकते l
ख़ून भी सारा बह चुका,
झूठ की तलवारों से।
पसीना भी सूख चुका,
असत्य की बयारों से।
जीभ भी कंपकंपाती है,
प्रतिकार भी शक्तिहीन-सा लाचार
अंधत्व-सा छा गया है,
असत्य की रोशनी में।
पलकें उठा नहीं सकता,
पुतलियाँ भी हिला नहीं सकता।
डर-सा लगता है,
कोई सत्य को ना जान ले।
असत्यतता कुचल रही है
मचल रही सत्य को हटाने में,
वो पड़ा कराह रहा है
घावों से घबरा रहा है।
साँसें रुक-सी रही है,
धड़कन बंद होने को है
डर चुका है,
कंपकंपहाट सी होती है
एक हल्की सी आहट से।
कहीं असत्य असुर ना आ जाए,
बची हुई साँसें
बचीं हुई उम्मीद भी ना मर जायें,
दौड़ भी ऐसी
असत्य ही दौड़े,असत्य ही जीते
असत्य जीवन
असत्य सी साँसें,
असत्य-सी आशाएँ
असत्यतता की भोर।
असत्यतता की रोशनी,
इस भ्रम जाल में
असत्य सत्य जान पड़ता है
और कुछ ख़ास नहीं,
सब सामान्य,सब कुशल
बस असत्य अमरता को छू चुका है॥

परिचय- डॉ.किशोर जॉन फ़िलहाल सह-प्राध्यापक के रुप में रीवा(मध्यप्रदेश) के शासकीय महाविद्यालय में सेवारत हैं। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में शिक्षित डॉ. जॉन मध्यप्रदेश के इंदौर में ही रहते हैंl आप विशेष कर्त्तव्य अधिकारी के पद पर अतिरिक्त संचालक(उच्च शिक्षा विभाग,इंदौर संभाग) कार्यालय में इंदौर में पदस्थ रहे हैं। पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान सहित वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रबंध में आप स्नातकोत्तर हैं। आपको २३ वर्ष का शैक्षणिक एवं प्रशासकीय अनुभव है तो, राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय स्तर पर ३० से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत एवं प्रकाशित किए हैं,एवं ३ पुस्तकों के सम्पादक भी रहे हैंl आपकी लेखन विधा कविता और लेख है।

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