संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
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स्वतंत्रता दिवस विशेष…
मेरे वतन, मेरे चमन, ऐ मेरे प्यारे वतन,
कम न हो तेरी चमक, कर रहा मैं ऐसा यतन
सरफरोशी की तमन्ना साथ हो, इतना जतन,
हाथ हो तिरंगा अपने, कैसे कर सकता पतन ?
तुम ही मेरे दिल की धड़कन, सबसे प्यारा ये वतन,
फिरंगी-मुगलों से लड़कर, पाया है सोने का चमन
खेत-खलिहानों, नदियों-जंगलों से सुशोभित ये वतन,
वीर-शहीदों की कुर्बानियों से पाया ये वतन।
सोने की चिड़िया थे कहते, ज्ञान गंगा का वतन,
राम की मर्यादा, कृष्ण-बुद्ध के उपदेश को है नमन
गुरु नानक देव, महावीर, बिरसा को है शत्-शत् नमन,
हरि बोल चैतन्य महाप्रभु, मदर टेरेसा को मेरा नमन।
चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव-राजगुरु से बना प्यारा वतन,
धर्मग्रंथों से भरा है, सर्वधर्म प्रिय मेरा वतन
वन्दे मातरम् की सनक से हुआ आजाद ये मेरा वतन,
धर्म की लहरों में बहता, गूँजता बोल बम वतन।
आओ लेकर हाथों में हाथ, चलो बैद्यनाथ कर प्रयत्न,
भोले शंकर, महादेव, महाकाल से है वतन
क्रांति के शंखनाद से गूँजता रहा है ये वतन,
तिरंगा लहराओ अब तो झूमता है ये वतन।
कुछ तो है मिट्टी में मेरी, उठ खड़ा है ये वतन,
न सहेंगे दम्भ कोई, न सहेंगे अब दमन।
शांति हो, सद्भाव हो, हो समर्पण सबके मन,
ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे गुलशन चमन॥
परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में आपको
महात्मा बुद्ध सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”