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कजरा

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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कजरा आँखों में सजे,पायल छनके पाँव।
गोरी की कँगना बजे,सुनों शहर से गाँव॥
सुनो शहर से गाँव,देख लो शोर मचाती।
नाजुक कली गुलाब,खिले खुशबू फैलाती॥
कहे ‘विनायक राज’,लगाई बालों गजरा।
उसकी नैन कटार,बने आँखों की कजरा॥