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समिति के प्रधानमंत्री प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने किया कविता पाठ

इंदौर (मप्र)।

देश में राष्ट्रभाषा हिंदी का प्रसार कर उसके माध्यम से देशवासियों को एकसूत्र में बाँधकर उनमें साहित्यिक,सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना जागृत करने के उद्देश्य में सतत रूप से संलग्न श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर द्वारा हिंदी के ख्यात हस्ताक्षरों को तकनीक के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जन-जन तक पहुँचाना जारी है। इसी उद्देश्य से समिति द्वारा हिंदी के ख्यात कवि प्रो. रामकुमार चतुर्वेदी ‘चंचल’ की प्रसिद्ध कविताओं पर आधारित कविता पाठ कार्यक्रम किया गया।
समिति के सभापति एवं राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन ने चंचल जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का परिचय देकर उनकी प्रसिद्ध कविताओं पर प्रकाश डाला। सत्तन जी ने बताया कि डॉ. चंचल ने सन् १९४२ में भारत छोड़ो आंदोलन से प्रेरित होकर राष्ट्रवादी काव्य का सृजन प्रारंभ किया था। कार्यक्रम में समिति के प्रधानमंत्री प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने चंचल जी की चुनिंदा कविताओं का पाठ किया। उनमें प्रमुख है- ‘न कागज को मानते हैं,न स्याही को सताते हैं,लहूवाले लहू से देश का नक्शा बनाते हैं।’ …‘उदास पथ निहारते हुए,समय निकल गया। गगन सहन न कर सका विदग्ध भूमि की व्यथा…।’
सत्तनजी की अध्यक्षता में इस कार्यक्रम में समिति के प्रचारमंत्री अरविंद ओझा ने सर्वप्रथम अध्यक्ष एवं वक्ता को मंच पर आमंत्रित किया। प्रो. चतुर्वेदी द्वारा पढ़ी गई कविताओं पर उपस्थित सुधीजनों द्वारा भूरि-भूरि प्रशंसा कर खूब दाद देते हुए सराहा गया। कार्यक्रम में सूर्यकांत नागर,डॉ. मीनाक्षी स्वामी,राकेश शुक्ल,एडव्होकेट घनश्याम यादव,रामचन्द्र अवस्थी,छोटू भारती,कमलेश पाण्डे, विजय चौहान और राजेश कुमाँयू आदि उपस्थित थे।

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