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कतई नहीं करें माँ,मातृ भूमि और मातृभाषा का अपमान

इंदौर(मप्र)।

हम दूसरी भाषाओं का सम्मान करें,पर ऐसा करते वक्त अपनी मातृभाषा का अपमान कतई न करें,ना ही किसी को करने दें। अपनी भाषा,सभ्यता और संस्कृति पर अभिमान करना युवा पीढ़ी सीखे। डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया के विभिन्न पटल पर हिंदी में और अधिक बात की जाए ताकि हमारी अपनी भाषा को बढ़ावा मिले।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इंदौर की पत्रकारिता और जनसंचार अध्ययनशाला में यह बात ‘डिजिटल मीडिया और हिंदी’ विषय पर आयोजित महत्वपूर्ण संगोष्ठी में विद्वान और श्रेष्ठ वक्ताओं की मंच पर तथा सुधी श्रोताओं की सभागृह में मौजूदगी में करीब २ घंटे तक हिंदी और हिंदी की डिजिटल मीडिया में स्थिति पर मंथन के बाद सार के रुप में निकलकर आई।
संगोष्ठी में कुलपति डाॅ. रेणु जैन ने कहा कि कोई भी इंसान कुछ भी सोचता-विचारता है तो वह अपनी भाषा में। माँ लोरी गाती है तो अपनी मातृ भाषा में। हम भक्ति गीत गाते हैं तो मातृभाषा में। अपने मनोभाव को व्यक्त करने,अपनी बात को रखने का सबसे सरल माध्यम अपनी भाषा होती है।
वरिष्ठ साहित्यकार और हिंदी परिवार, इंदौर के अध्यक्ष हरेराम वाजपेयी ने प्रभावी उद्बोधन दिया। अपनी कुछ विदेश यात्राओं का जिक्र करते हुए आपने इस बात को रेखांकित किया कि वहां विमानतल और अन्य जगह शुद्ध हिंदी में लिखे स्वागत पटल मिल जाते हैं पर हमारे यहां दिशा और स्थान सूचक पटल पर कई जगह अंग्रेजी नजर आती है। डिजिटल माध्यम,डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया का सदुपयोग करने की सीख भी आपने युवा पीढ़ी को दी। श्री वाजपेयी ने विश्वविद्यालय में हिंदी का अलग से विभाग खोले जाने की मांग कुलपति से की।
मप्र लोकसेवा आयोग की पूर्व सदस्य श्रीमती शोभा पैठणकर ने हिंदी और डिजिटल मीडिया को लेकर महत्वपूर्ण व ज्ञानवर्धक जानकारियां पत्रकारिता के विद्यार्थियों,प्राध्यापकों के समक्ष रखी।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास भारतीय भाषा मंच की संयोजक श्रीमती प्रियदर्शनी अग्निहोत्री ने यह सवाल उठाया कि डिजिटल माध्यम का उपयोग करते वक्त हिंदी के लिए २ दबाएं,यह आखिर कब तक सुनने को मिलेगा,यहां हिंदी १ पर कब आएगी।
अपनी बारी आने पर वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी ने कहा कि माँ और मातृभूमि की तरह ही मातृभाषा का सम्मान करना सीखना होगा। डिजिटल माध्यम पर आलस के कारण और आसानी के फेर में हम अंग्रेजी में सर्च ( खोज ) करने की जिस प्रवृत्ति को अपनाए हुए हैं,उससे अपनी मातृभाषा का अपमान हो रहा है। हिंदी दिवस हम मनाएं,पर बहुत जरूरी है कि हिंदी को अधिक से अधिक अपनाया जाए।
कुलाधिसचिव डॉ. अशोक शर्मा ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे।
अध्ययनशाला की विभागाध्यक्ष डाॅ. सोनाली सिंह नरगुंदे ने स्वागत भाषण दिया। अध्ययनशाला के युवा विद्यार्थियों प्रथमेश व्यास और सुश्री अनुभूति निगम ने उम्दा संचालन किया। कुलपति सहित सभी मंचासीन अतिथियों ने इनकी तारीफ की।

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