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कल्पना की किश्ती

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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कागज की किश्ती
में सफर को निकले,
नौका-विहार की
मौज-मस्ती को,
रिझाने मनोमन दिशा
की ओर सूखी नदी,
के इस पार-उस पार
दो अंतहीन किनारों,
के बीच अपनी
सांत्वना की परिधि को,
संभाले दुधयारी चाँदनी
संग चांद-सितारों से,
बातें करते हुए…।

मनोकुल प्रकृति के
पर्यावरण में शीतल बहती,
हवाओं के झोंकों
संग विस्तृत गगन के,
उड़ते परिंदों के
पंखों में उमंग उद्मांदित,
कल्पनाओं के अविरल
कवि की कविता में,
रसविभोर हो रसवंतनी
पयोधनी में बल खाती,
निर्मोही अलसाई प्रेयसी
वियोगिनी बन अंगड़ाई,
लेती बेसुध खोये पिया से
बातें करते हुए…।

जो एक अनंत-क्षितिज की
परछाई के अंधेरी समा,
को तिरोहित कर
आलोकित होती मन:,
छाया में अन्तर्वेदना की
अनुरूपता में इधर से उधर,
क्षणभुंगर हो अपनी
जीवनता के परिपक्व,
में सम्मोहित हो अमरत्व
की जीवन-रेखा पर,
यूँ !! कागज की किश्ती
की मनोमन स्वछंद,
कवित्व अभिव्यक्ति की
संवेदनशील भावनाओं संग,
सूखी नदी के इस पार-उस पार।
एक मनोच्छित अदृश्य से_
बातें करते हुए…॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।

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