बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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सुंदरता की चाह में,काजल आँजे नैन।
हिरनी जैसी देखती,कुछ नहिँ बोले बैन॥
कुछ नहिँ बोले बैन,आँख से सब कुछ कहती।
दिल में हरदम प्यार,सजाकर वो ही रहती॥
कहे ‘विनायक राज’,देख मन मेरा भरता।
नारी रूप निहार,लगे कितनी सुंदरता॥