निशा गुप्ता
देहरादून (उत्तराखंड)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….
भोर भई नंदलाला,
अब तो आओ पास
नैन तकूं दिन रैन मैं,
दर्शन दो घनश्याम।
मैया खोल गैया खड़ी,
बंसी थमा दी हाथ
आओ लल्ला साथ लो,
तुम गैयन को आज।
कुंज गली में जब चले,
सारे बाल गोपाल
गैया धूल उड़ावती,
संग चले गोपाल।
कान्हा बीच यूँ लगे,
ज्यूँ बादल में चाँद
गोपी भागी द्वार पे,
सुनकर के रंभार।
दर्शन पाऊं मैं लल्ला,
कहती जाती बात
मुरली की धुन सुन के,
हो गई बावरी आज।
सुध-बुध नहीं है कोई उसे,
कहाँ चुनरी-कहाँ गात
मटकी रखी सिर पर,
पनघट पे चली जात।
कान्हा कांकर मार कर,
मटकी देइ फोड़
मन ही मन हर्षाये है,
नंद गाँव की गोरी।
देखे लीला कान्हा की,
होकर भाव विभोर
ग्वाल बाल सब खेल रहे,
कान्हा कदम्ब की ।
मुरली मधुर बजाय रहे,
राधा संग चितचोर।
डोले संग-संग है सभी,
ग्वाल,गोपी,सब ओर॥
परिचय-निशा गुप्ता की जन्मतिथि १३ जुलाई १९६२ तथा जन्म स्थान मुज़फ्फरनगर है। आपका निवास देहरादून में विष्णु रोड पर है। उत्तराखंड राज्य की निशा जी ने अकार्बनिक रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। कार्यक्षेत्र में गृह स्वामिनी होकर भी आप सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत श्रवण बाधित संस्था की प्रांतीय महिला प्रमुख हैं,तो महिला सभा सहित अन्य संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आप विषय विशेषज्ञ के तौर पर शालाओं में नशा मुक्ति पर भी कार्य करती हैं। लेखन विधा में कविता लिखती हैं पर मानना है कि,जो मनोभाव मेरे मन में आए,वही उकेरे जाने चाहिए। निशा जी की कविताएं, लेख,और कहानी(सामयिक विषयों पर स्थानीय सहित प्रदेश के अखबारों में भी छपी हैं। प्राप्त सम्मान की बात करें तो श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान,विश्व हिंदी रचनाकार मंच, आदि हैं। कवि सम्मेलनों में राष्ट्रीय कवियों के साथ कविता पाठ भी कर चुकी हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य- मनोभावों को सूत्र में पिरोकर सबको जागरुक करना, हिंदी के उत्कृष्ट महानुभावों से कुछ सीखना और भाषा को प्रचारित करना है।