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यशोदा तेरो कान्हा

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….


यशोदा तेरो कान्हा,
करत बरजोरी…
हाथ जोड़ विनती करूं मैं,
सुनत नहीं कोई बात मोरी।
यशोदा तेरो…

ठाड़े रहत कदम की छैया,
आवत जात पकड़त
मोरी बहियां,
लाज ना आवत करत छिछोरी।
यशोदा तेरो…

नटखट श्याम लागे मोहे प्यारा,
वृंदावन में रास रचाया
कर प्रीत मैं तोसे हारी,
सूरत पे तेरी जाऊं बलिहारी।
यशोदा तेरो…

कजरारे नैनों से झांके,
बंशी से मेरो नाम पुकारे
पाय अकेली करत हट खेली,
तुझमें खोई मैं बनवारी।
यशोदा तेरो…

यशोदा तेरो कान्हां,
करत बरजोरी…।
हाथ जोड़ विनती करूं मैं,
सुनत नाही…॥

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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