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कीत्यानंद सिंह जैसे राजाओं ने साहित्य को जीवित रखा-प्रो. दीक्षित

जयंती-कवि सम्मेलन…

पटना (बिहार)।

भारत में कला, संगीत और साहित्य को उदारमना राज-घरानों में संरक्षण और पोषण प्राप्त हुआ है। राजा बहादुर कीत्यानंद सिंह जैसे उदार महापुरुषों ने भारतीय संस्कृति के संरक्षण में अतुलनीय योगदान दिए हैं। इसीलिए ये प्रणम्य और स्मरणीय हैं।
रविवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में जयंती समारोह और कवि सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात राष्ट्रभाषा प्रचार समिति (वर्धा) एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन (प्रयाग) के अध्यक्ष प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कही। उन्होंने साहित्य सम्मेलन को निरन्तर सक्रियता के लिए बधाई दी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि बनेली राज का हिन्दी साहित्य सम्मेलन पर बड़ा उपकार है। राजा बहादुर कीत्यानंद सिंह की १० हजार रूपए की आर्थिक सहायता से सम्मेलन भवन का निर्माण हुआ था। कीत्यानंद सिंह कोमल भावनाओं और सारस्वत-चेतना के साधु-पुरुष ही नहीं, सुकुमार कवि भी थे। उनके दरबार में साहित्यकारों और कलाकारों का बड़ा आदर था। साहित्यकार जियालाल आर्य, डॉ. मधु वर्मा, डॉ. रत्नेश्वर सिंह तथा विभा रानी श्रीवास्तव ने भी विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर कवि सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवि सुनील कुमार, डॉ. ऋचा वर्मा, डॉ. मीना कुमारी परिहार, शायरा शमा कौसर शर्मा आदि ने रचनाओं से काव्यांजलि अर्पित की। मंच का संचालन डॉ. मनोज गोवर्द्धनपुरी ने किया।