डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यह जलवायु परिवर्तन का मजबूत असर है,
पर्यावरण क्षरण का एक बहुत बड़ा समर है।
भूस्खलन और बादल का फटना,
एक सरल और सहज कारण है
पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें प्रकृति से,
खिलवाड़ ना हो,
मजबूत इरादों से सना विधा को अपनाते हुए
करना निवारण है।
तपती धरती पर मानवीय उन्माद से सना शह-मात खेल बदस्तूर जारी है,
प्राकृतिक सौंदर्य और श्रंगार में क्षरण का प्रहार भर गया भारी है।
बादल फटना, भूस्खलन, नदियों में उठता उफान,
यह सब-कुछ है कुदरत की शरारत की पहचान।
बदलते मौसम में हमने देखे हैं तरह-तरह के रूप- रंग,
ज़िन्दगी तबाहियों से लड़ती रहेगी लगातार यहां जंग।
झरनों का ऊंचे पहाड़ों पर से गिरते पानी की आवाज व,
पहाड़ों पर अंधाधुंध पेड़ों की कटाई से लगातार छेड़छाड़
प्रकृति अपना अंत नजदीक देखकर यहां कर रही है प्रतिकार,
यह सब-कुछ एक पर्यावरण क्षरण का लगता सटीक संस्कार।
जलवायु परिवर्तन का ही है यह खेल सब जगह दिखता है असर,
‘ग्लोबल वार्मिंग’ से विश्व आज भी है यहां लगता बिल्कुल बेखबर।
पर्यावरण को तन्दरूस्त बनाने के लिए एक मजबूत आधार वाला मका चाहिए,
‘जनमानस की सुरक्षा के लिए प्रकृति से खिलवाड़ बंद हो’ की पहल तुरंत होनी चाहिए।
बाढ़, सुनामी तूफान और समन्दर में हलचल,
यह सब पृथ्वी पर प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ के चलते प्रारंभ हुआ है प्रचलन।
आजकल कारखाने-फैक्ट्रियां और बड़ी संख्या में बन रहे हैं कंक्रीट के आशियाने
यही सब पराक्रम से प्रकृति खूब नाराज़ दिख, दिखलाने में लगी ह कुदरती ताने-बाने।
मचा हुआ है आज खूब शोर इस अनजान-सी आई विपत्ति का यहां,
पृथ्वी पर बढ़ रही गर्मी है इसकी बड़ी वजह यहां।
आज़ समन्दर भी खूब नाराज़ चल रहा है यहां,
कुदरती ताने-बाने के हैं मंजर खूब प्रचलन में यहां।
इस विपदा से मजबूत पकड़ बनाने के लिए हमें आगे आना होगा यहां,
जन-जन तक खूब खुशियाँ बिखेरने में हरक्षण लग जाना होगा हम सबको अब यहां।
आज़ हमें अपने जनमानस को सुरक्षित रखना होगा,
पर्यावरण संरक्षण पर गम्भीरता से विचार करना होगा।
कुदरत का कहर आज़ खूब व बहुत जोरों पर है यहां,
हमें मजबूती से प्रयास और प्रयोग करना होगा यहां॥
परिचय–पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।