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कैसा प्यार करते हो

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
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दर्द देकर तुम दवा बताते हो,
यार तुम कैसा प्यार करते हो।

तुम उधर तड़पते रहते हो,
मैं इधर तड़पता रहता हूँ
दुनिया के सारे गम देकर के
खुश रहने को कहते हो,
यार तुम कैसा प्यार करते हो…

रहता हूँ तेरी ही याद में हरपल,
होती रहती है दिल में सदा हलचल
जुदा होकर तुम तो,
करीब आने की तरकीब बताते हो।
यार तुम कैसा प्यार करते हो…

मिलते नहीं हो चाँदनी रातों में,
बसे रहते हो सदा तुम साँसों में
लेकर के छतरी तुम अपने पास,
बरसात से बचने की तरकीब बताते हो।
यार तुम कैसा प्यार करते हो…

साथ चलो कभी तुम दो कदम,
हमसफर बनो अब तो सनम
कट जाते जैसे खुशी के दिन,
गम के दिन भी कट जाएंगे।
संग चलने का वादा करके,
अकेले चलने की राह दिखाते हो।
यार तुम कैसा प्यार करते हो…॥

परिचय– दिनेश चन्द्र प्रसाद का साहित्यिक उपनाम ‘दीनेश’ है। सिवान (बिहार) में ५ नवम्बर १९५९ को जन्मे एवं वर्तमान स्थाई बसेरा कलकत्ता में ही है। आपको हिंदी सहित अंग्रेजी, बंगला, नेपाली और भोजपुरी भाषा का भी ज्ञान है। पश्चिम बंगाल के जिला २४ परगाना (उत्तर) के श्री प्रसाद की शिक्षा स्नातक व विद्यावाचस्पति है। सेवानिवृत्ति के बाद से आप सामाजिक कार्यों में भाग लेते रहते हैं। इनकी लेखन विधा कविता, कहानी, गीत, लघुकथा एवं आलेख इत्यादि है। ‘अगर इजाजत हो’ (काव्य संकलन) सहित २०० से ज्यादा रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपको कई सम्मान-पत्र व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। श्री प्रसाद की लेखनी का उद्देश्य-समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करना, बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देना, स्वस्थ और सुंदर समाज का निर्माण करना एवं सबके अंदर देश भक्ति की भावना होने के साथ ही धर्म-जाति-ऊंच-नीच के बवंडर से निकलकर इंसानियत में विश्वास की प्रेरणा देना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-पुराने सभी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज-माँ है। आपका जीवन लक्ष्य-कुछ अच्छा करना है, जिसे लोग हमेशा याद रखें। ‘दीनेश’ के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए। देश है तभी हम हैं। देश रहेगा तभी जाति-धर्म के लिए लड़ सकते हैं। जब देश ही नहीं रहेगा तो कौन-सा धर्म ? देश प्रेम ही धर्म होना चाहिए और जाति इंसानियत।