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मन के अहसास

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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ममता का दामन, फूलों का ऑंगन हर ज़िन्दगी को सजाते,
हर ज़िन्दगी के, दुख को मिटाके, मुस्कान चेहरे पे लाते।
भगवान उनके, हर एक पल को, खुद प्यार दे के लुभाते,
मन फूल जैसे कोमल बनाते, संसार को भी सजाते।
ऐसा ही कुछ, करिश्मा हुआ जो, सजता यहाॅं मेरा जीवन,
चंदा-सूरज की किरणों-सा, खिलता हर पल मेरा मन॥

अहसास दु:ख के, मन में न होते, सुख ही सज कर रहते,
वर्षों रहा तू, फिर से क्यूं आया, सुख ही दु:ख से कहते।
खिलता जीवन, खिलतीं खुशियाँ, क्या हो गया है न जाने,
संसार करता प्यार मुझे पर, ये बात कोई न माने।
सरगम जैसी प्यारी धुन में, चलतीं साॅंसें-धड़कन,
इनकी धुन को ही सुन कर, नाचे हर पल मेरा मन॥

तकदीर मानूं, या तदबीर मानूं, ये बात मैं तो न जानूं,
माॅं के रहते, नहीं दु:ख दिखा था, मैं तो इतना ही जानूं।
माॅं कहती थी, खुशियाँ बना के, जो इस जहां को सजाते,
भगवान उनको हर पल लुभाते, मन को भी कोमल बनाते।
शायद रही कुछ बात यही जो, जीवन बना एक मधुबन,
जीवन में हर मौसम सजता, जैसे चंचल चितवन॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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