एल.सी.जैदिया ‘जैदि’
बीकानेर (राजस्थान)
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दर्द-ऐ-दिल,किस’को सुनाऊँ मैं,
गुजर रहे हैं दिन,कैसे बताऊँ मैं।
तन्हाइयों से तंग आ गया जनाब,
हर बात,अब कैसे समझाऊँ मैं।
मजे लोग लेंगे ये सोच चुप रहता,
खुद का दिल खुद से बहलाऊँ मैं।
दुनिया में मुझे गम,सभी ने दिऐ हैं,
इल्जाम अब ये किस पे लगाऊँ मैं।
कुरेद रहे हैं जख़्म जो बार-बार मेरे,
बेरहम जख्मों को कैसे दिखाऊँ मैं।
खुश है देख मुसीबत में रक़ीब मेरे,
उनसे बताऐं कैसे प्यार निभाऊँ मैं॥