संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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तुम भी चुप रहो…
मैं भी चुप रहूँ…
खामोशी को,
बीच हमारे
ऐसे ही रहने दो…।
दिल की धड़कनों की,
आवाज सिमट रही है…
दिल से जरा,
उसे सुनने दो…।
दबे-दबे से,
अहसासों की।
दबी-दबी,
आवाज आने दो…॥