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खिले शरद पूनम करवा का चाँद

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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शरद पूर्णिमा-करवा चौथ विशेष…

देख री सखी अनुपम है ये चंदा,
मोहता मुझे शरद पूनम का चंदा
मन कमल खिला ले उद्गार भाव,
अदभुत ज्योति ले आए है चंदा।

सोलह कलाओं चमके देखो ना,
ठहरा धरा निकट पूनम का चंदा
देता है स्वास्थ्य सुख औ समृद्धि,
चाँदनी भीगा खीर प्रसाद हे चंदा।

हवा गुनगुनाती कोमल-सा स्पर्श,
तिलिस्म चाँद ये शरद पूनम का
कौमुदी महोत्सव की आई रात,
कृष्ण बाँसुरी छिड़ी लगता है चंदा।

रोम-रोम पुलकित ये मृदुलता,
चाँदनी श्वेत बरसाए प्रीति चंदा
प्रियतम का दर्शन है सौभाग्य,
अलौकिक सुधा रश्मियाँ है चंदा।

देवी लक्ष्मी का प्राकट्य दिवस,
पावन चाँद नभ धरा आलोकित
राधा कान्हा गोपी करे महारास,
प्रेम आलाप मधुरम प्यारा है चंदा।

खिलता नभ में सदा है जी चंदा,
आज करे अठखेलियाँ देखो ना
घटा की ओट से करे लुका-छिपी,
करवा चौथ का आओ जी हे चंदा।

सुहागिनी करती सोलह श्रंगार,
मांग टीका लाल चूड़ी चुनर मेंहदी
व्रत संकल्प माँगती अमर सुहाग,
पतिव्रता प्रेम भरी मनाती है चंदा।

चाँदनी के विस्तार पर लहराते,
कवि के नयन छंदों में इठलाते
अमृत पान कर धरती है हँसती,
सुहागन का प्रिय आया जी है चंदा।

रोम-रोम है पुलकित मृदुलता,
प्रियतम प्रिया हृदय प्रेम समाया
बंधन पावन अंग मन पुलकित,
अंकुरित आशा ले आए हो चंदा।

सदा प्रिय दर्शन है जी सौभाग्य,
कलश दीपक ले पूजती है चाँद
पिया मनुहार व्रत तोड़ो प्रिया,
प्रेम आलाप लिए आया है चंदा।

जीवन पथ हर घर सजे चंद्रदेव,
सुखशांति अमर सौभाग्य भरे।
देव-देवी का आशीष अमृतमयी,
रूपसी हँसी सखी खिला मेरा चंदा॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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