राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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सारी दुनिया फ़ानी है,
कहते हैं वो ज्ञानी हैं
प्रेम की राह बनाता चल,
गीत खुशी के गाता चल।
रोज शाम सूरज ढलता है,
सुबह उजाला फिर करता है
कड़वी बातों को बिसरा के,
ज्ञान के दीप जलाता चल।
गीत खुशी के गाता चल…
बाधाओं को मोड़ बढ़ा चल,
चट्टानों को तोड़ चला चल
संघर्षों से अब कैसा डरना,
ताल से ताल मिलाता चल।
गीत खुशी के गाता चल…
अन्तर्मन की बात ले सुन,
नए-नए सपने तू बुन
सत्कर्मों की राहें चुन,
नेह से गले लगाता चल।
गीत खुशी के गाता चल…
जीवन में छाए अंधियारा,
नजर नहीं आए उजियारा
दिखता नहीं कोई सहारा,
मंद-मंद मुस्काता चल।
गीत खुशी के गाता चल…
मन में है जब दृढ़ विश्वास,
लक्ष्य भी है अपने साथ
साहस से पकड़ के हाथ,
सत्पथ को महकाता चल।
गीत खुशी के गाता चल…॥
परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।