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चिंता है चिता समान

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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हर मनुष्य चिंताग्रस्त है, इसका आशय किसी भी बात को अधिक मात्रा में सोचना और उसके प्रति नकारात्मक भावों को अधिक स्थान देना है। चिंता के कारण बहुत हो सकते हैं, उससे आप तनाव, अवसाद से ग्रसित होकर अपना, परिवार का भविष्य दुखद बनाते हैं। मन अधिक चंचल होने से दिन-रात बाह्य संपर्क से जुड़ता है और उससे लगाव होना ही मुख्य कारण होता है। मन को सकारात्मक दिशा में ले जाना और चिंतामुक्त होना ही सुखी जीवन का आधार है।
झपकी लेने से न केवल तनाव कम होता है, बल्कि पाचन में भी सुधार होता है। इतना ही नहीं, कुछ देर की झपकी लेने से भी शरीर को काफी आराम मिलता है, जिसके बाद व्यक्ति को बहुत अच्छी नींद आती है।
आज ज्यादातर लोग तनाव-चिंता में जी रहे हैं। किसी को काम का तनाव, तो किसी को नौकरी जाने का। कोई आर्थिक तंगी और पारिवारिक के लड़ाई-झगड़े के कारण तनाव में है, तो कोई स्वास्थ्य से जुड़ी समस्यों को लेकर मानसिक तनाव से परेशान है। इस तरह लोग आए दिन किसी न किसी वजह से तनाव का सामना करते हैं, लेकिन जब लोग तनाव के स्तर को नियंत्रित नहीं कर पाते, तो यह उनके लिए चिंता का विषय बन जाता है। तनाव चाहे जिस वजह से भी हो, इसके लिए तनाव मुक्त होना जरूरी है, जो मन और शरीर को शांत कर सके।
तनाव एक मौन हत्यारा है, जो शरीर को भीतर से खोखला करता चला जाता है। इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह कई शारीरिक समस्याओं को जन्म दे सकता है। हर दिन होने वाले तनाव को दूर करने के लिए खुद के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। तनाव से मुक्ति पाने के लिए जितना हो सके, फोन से दूर रहें। फोन आपको दूसरों से तो जोड़ता करता है, लेकिन इस वजह से आप खुद से दूर होते चले जाते हैं।
जब भी आपको तनाव हो, तो ध्यान रखें कि कोई आपकी मदद नहीं कर सकता। आप खुद को अभी पसंद करें। आप खुद से प्यार करना शुरू करेंगे, तो तनाव खुद ब खुद दूर हो जाएगा।
जो लोग अक्सर ही तनाव में रहते हैं, विशेषज्ञ उन लोगों को दोपहर में २०-३० मिनट की झपकी लेने की सलाह देते हैं। उन्होंने इसके फायदों के बारे में बताया है कि भोजन के तुरंत बाद एक झपकी लेना बहुत अच्छा है, बल्कि सूजन भी कम होती है। कुछ मिनट की झपकी नींद की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए बहुत अच्छी है।
ध्यान रखें, तनाव को कभी अपने न हावी होने दें और इन कदमों को अपनाकर खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से हल्का रखें। इसके लिए सरलतम उपाय है कि आप अपनी चिंताओं को कागज़ में लिखकर उसका निदान ढूंढें। आप अपना तनाव मष्तिष्क में न रखकर कागज़ पर उतारकर निर्णय लें।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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