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जगमग दीप जले

वाणी वर्मा कर्ण
मोरंग(बिराट नगर)
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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष ……

जगमग दीप जले,
जगमग दीप जले।

अंधेरे से उजाले की ओर,
निराशा से आशा की ओर
भाग्य से कर्म की ओर,
अधर्म से धर्म की ओर-
जगमग दीप जले।

एक छोटी किरण जैसे,
दूर करती हो तम को
वैसे ही कलुषित विचार,
दूर हो मन से हृदय से-
जगमग दीप जले।

प्रेम सद्भाव हो जीवन में,
लोभ मोह माया क्रोध का
विनाश हो सम्पूर्ण जगत से,
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ-
जगमग दीप जले।

बुराई कितनी भी दृढ़ हो,
विनाश अवश्यम्भावी है
अतः सदा धर्म की राह पर चलें,
अपने कर्म पर विश्वास करें।
जगमग दीप जले,
जगमग दीप जले॥

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