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जनता को जनता की भाषा में न्याय मिले-न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र

सम्मेलन में ५ हिन्दी सेवियों को दिया ‘वैश्विक हिन्दी-सेवा सम्मान’

पटना (बिहार)।

न्यायालयों की भाषा जितनी शीघ्रता से भारतीय भाषाएँ हो जाएँ, राष्ट्रहित में उतना ही अच्छा है। जनता को जनता की भाषा में ही न्याय मिले, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
शनिवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में वैश्विक हिन्दी सम्मेलन (मुंबई) और केंद्रीय हिन्दी संस्थान (आगरा) के संयुक्त तत्वावधान में ‘जनभाषा हिंदी में न्याय, शिक्षा व रोज़गार’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश एवं चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की कुलपति न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र ने यह बात कही।
अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि भाषा संबंधी सभी समस्याओं का निदान एक दवा में है, और वह यह कि हिन्दी को देश की राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया जाए। हिन्दी राष्ट्रभाषा हो जाएगी तो, वह स्वतः न्यायपालिका की तथा शिक्षा और रोज़गार की भी भाषा हो जाएगी।
इसके पूर्व विषय प्रवर्तन करते हुए वैश्विक हिन्दी सम्मेलन के निदेशक डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की न्यायपालिका में देश की भाषा में याचिका की अनुमति नहीं है। हिन्दी में याचिका देने वाले को अन्याय और धोखाधड़ी का शिकार होना पड़ता है। यह जनतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध और अन्याय पूर्ण है।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि और बिहार विधि परिषद् के अध्यक्ष रमाकान्त शर्मा ने कहा कि आज ‘संविधान दिवस’ है, इसलिए हम अपने संविधान की आलोचना नहीं कर सकते, किंतु हिन्दी देश के कामकाज की भाषा बने, इस आंदोलन का हमें मिलकर समर्थन करना चाहिए।
मुख्य वक़्ता और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप कुमार ने कहा कि, न्यायालयों में हिन्दी को सम्मान मिले, इस हेतु आंदोलन बहुत पहले से चलाया जा रहा है। न्यायमूर्ति प्रेम गुप्ता (इलाहाबाद उच्च न्या. में न्यायाधीश थे) सभी निर्णय हिन्दी में दिया करते थे। हमें संकल्प लेकर हिन्दी के पक्ष में कार्य करना चाहिए।
इस अवसर पर हिन्दी की मूल्यवान सेवा के लिए हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. सुलभ को ‘वैश्विक हिन्दी साहित्य सेवा सम्मान’, हिन्दी की प्राध्यापिका प्रो. मंगला रानी को ‘डॉ. कामिनी स्मृति हिन्दी सेवा सम्मान’ तथा विनोद शर्मा, कृष्णा यादव और अखिलेश कुमार सिंह को न्याय के क्षेत्र में हिन्दी के लिए संघर्ष हेतु ‘वैश्विक हिन्दी सेवा सम्मान से अलंकृत किया गया।’ पद्मश्री विमल जैन, अधिवक्ता छाया मिश्र, ऋतुवाला साक्षी, मोनी पटेल तथा भारती मिश्रा सहित कई वक्ताओं ने भी विचार व्यक्त किए।
संचालन प्रो. मंगला रानी, संयोजक- अधिवक्ता इंद्रदेव व डॉ. अर्चना त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से किया।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई)

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