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जल ही जीवन

आशा आजाद`कृति`
कोरबा (छत्तीसगढ़)

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जल ही कल….

पानी बिन जीवन हो कैसे, गाँठ बाँध लें बात।
जल सहेजकर ध्यान धरें यह, बहे नहीं दिन-रात॥

पानी के गुण को सब जानें, यह जीवन आधार।
तन पर इसकी अधिक जरूरत, यह ही है शुभ सार॥

अमृत सदा पानी जीवन में, बचत करें दें ध्यान।
लापरवाही त्याग करें सब, इससे ही उत्थान॥

जिनके घर जल अभाव है, वे सहते हैं पीर।
दूर गाँव से पानी लाते, तब मिलता है नीर॥

गंदा पानी पीते हैं जो, पीड़ा रहे अपार।
बीमारी से मर जाते हैं, सोचें नित उद्धार॥

जान-बूझकर व्यर्थ गँवाते, वे हैं लापरवाह।
है गरीब जन की भी चाहत, जल की सुंदर चाह॥

बूंद-बूंद पानी सहेज लें, नेक रखें शुभ ध्येय।
मनुज भूमिगत जल सहेज ले, बने श्रेष्ठ उपमेय॥

दानी बनकर पुण्य कमाएँ, यह है काम महान।
जन की विपदा को नित समझें, कर लें कुछ तो दान॥

जल की महिमा गान करें सब, रखें सदा सँभाल।
इस धरती पर स्त्रोत बढ़ाकर, मनुज करे कमाल॥

जल है कल तो जीवन सुंदर, इसका ही है मोल।
स्वयं बचाकर सीख सार का, देवें सदगुण बोल॥

परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”

 

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