तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान)
******************************************
बहुत मुश्किल से,
बनते हैं ये
पाक-पवित्र रिश्ते,
बहुत अहमियत
रखते हैं
जीवन में,
कभी-कभी ये
कुछ जाने-
अनजाने रिश्ते।
खून के नहीं,
अपनेपन के होते हैं
तन के नहीं,
मन के होते हैं
ये अनमोल रिश्ते,
बिना जोड़े ही
जुड़ जाते हैं ये,
कुछ जाने-
अनजाने रिश्ते।
कुछ नाम,
नहीं होता
इन रिश्तों का,
अनाम ये
रिश्ते होते हैं,
जीवन में देते हैं
खुशियां की दस्तक,
कुछ जाने-
अनजाने रिश्ते।
ख़ुदा की,
रहमत समझो या
पुण्य कर्मों का फल,
यूँ ही अचानक
चलते-चलते,
अनजाने ही
मिल जाते हैं,
कुछ जाने-
अनजाने रिश्ते।
स्वार्थ से परे,
ये अटूट रिश्ते
सम्भाल कर रखना,
कभी भूल से भी
ये टूट न जाए,
विश्वास के
दम पर चलते हैं,
कुछ जाने-
अनजाने रिश्ते।
इन नाज़ुक
रिश्तों की,
बुनियाद बड़ी
मज़बूत होती है,
लाख तूफ़ान
आए जीवन में
अडिग रहते हैं,
कुछ जाने-
अनजाने रिश्ते।
जब तक,
आसमाँ पर
चमकें चाँद-तारे,
दुआ करना
दिल से सदा,
क़यामत तक
क़ायम रहे ये।
कुछ जाने-
अनजाने रिश्ते॥
परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।