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जिंदगी की कश्मकश…

विद्या होवाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र )
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जिंदगी की कश्मकश में,
हौंसले बुलंद कर
आगे बढ़ना है,
कभी प्यार तो
कभी गम बाँटना है।

कभी खुशी की आँधी से तो,
कभी मुसीबतों के
तूफानों से जूझना है,
कभी फर्ज के लिए तो
कभी धर्म के लिए,
कुर्बानियों की चट्टानों को लाँघना है।

कभी उम्मीदों की नाव पर तो,
कभी नादानी की कश्ती में
सफर तय करना है,
कभी धैर्यता की बूँदों से तो
कभी आर्दता की बारिश में भीगना है।

जिंदगी की कश्मकश में,
यूँ ही जज्बातों से लड़ना है॥

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